
सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स: पर्यावरणीय स्वीकृति में अनियमितता के आरोप, ईआईए रिपोर्ट पर सवाल
रायगढ़। जिले में उद्योगों के विस्तार को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स कोल माइंस के विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। दावा किया जा रहा है कि जनसुनवाई की प्रक्रिया को दरकिनार कर केवल दावा-आपत्ति मंगाकर अनुमति देने की साजिश रची जा रही है।

जानकारी के अनुसार, विस्तार परियोजना के लिए प्रस्तुत पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) रिपोर्ट अक्टूबर 2021 की है, जिसे सितंबर 2024 में आवेदन के रूप में प्रस्तुत किया गया। जबकि 14 सितंबर 2006 की अधिसूचना के अनुसार आवेदन के 45 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए थी। इसमें भ्रम पैदा करने के लिए आवेदन की तारीख को 22 अक्टूबर 2023 और पत्राचार की तारीख को 29 जनवरी 2024 बताया गया है, जो संदेहास्पद है।
पर्यावरणीय तथ्यों की अनदेखी
ईआईए रिपोर्ट में परियोजना क्षेत्र के 10 किमी के दायरे में कोई भी संवेदनशील या जैव विविधता क्षेत्र न होने का दावा किया गया है, जबकि वास्तविकता इससे कोसों दूर है। मोरगा पहाड़, जहां स्थानीय गोंड समाज की कुलदेवी विराजमान हैं, और सिलौट एवं तोलगे पहाड़, केलो नदी सहित कई महत्वपूर्ण स्थल 7 से 10 किमी की सीमा में आते हैं।
फॉरेस्ट लैंड का वास्तविकता से मेल नहीं
रिपोर्ट में फॉरेस्ट लैंड को ‘शून्य’ बताया गया है, जबकि प्रभावित गांव करवाही, खमहरिया, सरईटोला, ढोलनारा और बजरमुड़ा में वन भूमि है। इस क्षेत्र में गोंड समाज को वन अधिकार कानून के तहत भूमि आवंटित है, जिसका उल्लेख रिपोर्ट में नहीं किया गया है।
ग्राम सभा और सामाजिक प्रभाव की अनदेखी
ईआईए रिपोर्ट में पेसा कानून के तहत ग्राम सभा की स्वीकृति का कहीं उल्लेख नहीं है, जबकि यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूची के तहत आता है। प्रभावित ग्रामीणों को सामुदायिक वनाधिकार और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्रक मिले हैं, फिर भी इसका समावेश रिपोर्ट में नहीं किया गया है।
फ्लोराइड प्रभावित गांवों का उल्लेख नहीं
रिपोर्ट में क्षेत्र के फ्लोराइड प्रभावित गांवों की अनदेखी की गई है। मुड़ागांव, जो गंभीर रूप से फ्लोराइड से प्रभावित है, और वहां की तीन बस्तियों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
कोल वाशरी पर चुप्पी, संदेह गहराया
रिपोर्ट में सारडा एनर्जी की कोल वाशरी का कोई उल्लेख नहीं है, जबकि यह कोल माइंस परियोजना के दायरे में आती है। इस महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाना रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।
निष्कर्ष:
सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स कोल माइंस के विस्तार की प्रक्रिया में जनसुनवाई को दरकिनार कर, दावा-आपत्ति मंगाने और पुरानी रिपोर्ट को नए आवेदन के रूप में प्रस्तुत करने जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। स्थानीय समुदाय और पर्यावरणविदों का मानना है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनहित के नियमों की अनदेखी कर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।